Brahmcharya ka niyam ब्रह्मचर्य की महिमा :-
त्युमुपाघ्नत इब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृन्द्रो ब्रह्मचर्येण देवेभ्यः स्वराभरत ।
अर्थात् ब्रह्मचर्य रूपी तपोबल के द्वारा देवताओं ने मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी और सुरेन्द्र को उच्च पदासीन होने का सौभाग्य ब्रह्मचर्य-पालन के कारण ही मिला था।
आयुस्तेजोबलं वीर्य प्रज्ञाश्रीश्च महद्यशः । पुण्य चं प्रीतिमत्वं च हन्यतेऽब्रह्मचर्यया ।।
अर्थात् आयु, तेज, बलवीर्य, बुद्धि, लक्ष्मी, कीर्ति, पुण्य, प्रीति आदि विभूतियां ब्रह्मचयं न पालने पर पलायन कर जाती है।
-
शक्तिप्रदायक (Tonics)
चना-विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक श्रम करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता :
- 25 ग्राम देशी (काले) चले लेकर अच्छी तरह साफ कर लें। मोटे पुष्ट चनों को चुनकर साफ करके कीड़े या डंक लगे व टूटे चने निकाल कर फेंक दें। संध्या के समय 125 ग्राम जल में इन्हें भिगो दें। प्रातः शौचादि से निवृत्त होकर एवं व्यायाम के बाद चनों को अच्छी प्रकार चबाकर खायें और ऊपर से चनों का पानी वैसे ही अथवा उसमें एक-दो चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं। दिखने में साधारण योग है किन्तु शरीर को बल और स्फूर्ति प्रदान करने में बहुत प्रभावशाली है।
-
विशेष-
चने की मात्रा धीरे-धीरे 25 ग्राम से 50 ग्राम तक बढ़ाई जा सकती है। भीगे हुए चने खाने के बाद यदि दूध पिया जाय तो वीर्य पुष्टि होती है। व्यायाम के बाद रात के भीगे हुए चने, चने का पानी सहित नियमित रूप से सेवन करने से आपका स्वास्थ्य बना रहेगा। कहावत भी है- “खाये चना रहे बना”।
-
सावधानी–
- जिनकी पाचन शक्ति अति दुर्बल हो, या चना खाने से पेट में अफारा आता हो, उन्हें चनों का सेवन नही करना चाहिए। (4) अंकुरित चना-अंकुरित चने खाये जायें तो विशेष लाभप्रद हैं। अंकुरित चना धातु पौष्टिक, मांसपेशियों को सुदृढ़ व शरीर को वज्र के सदृश बनाने वाला तथा प्रायः समस्त चर्म रोग नाशक है। विटामिन ‘सी’ की प्रचुरता वाला यह नाश्ता वजन बढ़ाता है, खून में वृद्धि करता है और उसे ताफ करता है। इसके अलावा अंकुरित चने का सेवन फेफड़े मजबूत करता है, रक्त में कोलस्ट्रोल कम करता है और दिल की बीमारियां दूर करने में सहायक होता है
-
चने अंकुरित करने की विधि-
- अंकुरित करने के लिए अक्षत चनों को अच्छीतरह साफ करके इतने पानी में भिगोएं कि उतना पानी उसमें शोषित (जज्ब) हो जाए। प्रातःकाल पानी में भिगो दें और रात्रि में किसी साफ मोटे गीले कपड़े या उसकी थैली में बांधकर लटका दें। गर्मी में १२ घंटे और शीतकाल में १८ से २४ घंटों तक भिगोने के बाद गीले कपड़े में बांधने से दूसरे तीसरे दिन उनमें अंकुर निकल आते हैं। गर्मी में थैली पर आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहना चाहिए। इस प्रकार चनेअंकुरित हो जायेंगे। अंकुरित चनों का नाश्ता एक उत्तम टॉनिक है। अंकुरित चनों में कुछ लोग स्वाद के लिए पिसी हुई काली मिर्च, सेंधा नमक, अदरक की कुछ कतरन एवं नींबू के रस को कुछ बूंदे भी मिलाते हैं, परन्तु आप यदि इन्हें बिना किसी मिलावट के खा सकें तो अधिक उत्तम होगा।