आज के समय में हमारी आँखें दिनभर मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर टिकी रहती हैं, जिससे आँखों पर तनाव बढ़ जाता है इसलिए आँखों की देखभाल रखने के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, सही रोशनी में पढ़ना और नियमित नेत्र जांच बेहद जरूरी है चलिए जानते है की वो टिप्स के है :-
आँखों की देखभाल के लिए जरूरी बातें (Binocular Perception के उदाहरण सहित):
आँखों की देखभाल के लिए यह जानना जरूरी है कि आपको दूर और पास की चीजें साफ़ दिखाई देती हैं या नहीं। साथ ही, आपकी दोनों आँखों का आपसी संतुलन (alignment) भी सही होना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपसे 10 फीट की दूरी पर एक कार खड़ी है। अब आपसे यह पूछा जाए कि वह कार आपको कितनी दूरी पर दिख रही है — क्या सच में 10 फीट लग रही है, या उससे कम या ज्यादा?
अगर आपको यह सही-सही अंदाज़ा नहीं लग रहा, यानी वस्तु की दूरी का अनुभव गड़बड़ हो रहा है, तो यह आपकी Binocular Perception में कमी का संकेत हो सकता है।
इस स्थिति में आपको नेत्र रोग विशेषज्ञ (Eye Specialist) से सलाह लेना उचित होगा, ताकि समय रहते आँखों की स्थिति की जांच की जा सके और जरूरत पड़ने पर उपचार किया जा सके।
घर पर आँखें जाँच करने का दूसरा तरीका:
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अपने घर की दीवार पर लगी घड़ी को चुनें या कोई एबीसीडी वाला चार्ट (जैसे स्कूल में होता है) लगाएँ।
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उस घड़ी या चार्ट से लगभग 20 फीट (लगभग 6 मीटर) दूर बैठ जाएँ।
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अब एक आँख को बंद करें और दूसरी आँख से घड़ी या चार्ट को ध्यान से देखें।
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जांचें कि क्या आपको:-
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घड़ी के सभी नंबर (1 से 12 तक) या
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चार्ट पर लिखे अक्षर (A, B, C, D…)
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स्पष्ट और साफ दिखाई दे रहे हैं या नहीं।
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👁️🗨️ यदि दिखाई दे रहा है:
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आपकी दृष्टि ठीक है, कम से कम उस आंख की जिसकी मदद से आप देख रहे हैं।
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आपकी आँख की दूरी देखने की क्षमता (Distance Vision) अच्छी है।
⚠️ यदि दिखाई नहीं दे रहा (घड़ी के नंबर धुंधले, छोटे, या डबल दिखते हैं):
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आपकी आँखों की रोशनी कमजोर हो सकती है।
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आपको धुंधलापन (Blurred Vision), अक्षर दो-दो दिखना (Double Vision), या कमजोर दृष्टि जैसी समस्या हो सकती है।
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यह संकेत है कि आपकी दृष्टि में दोष हो सकता है, जैसे कि:
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Myopia (नज़दीक की चीज़ें तो साफ दिखती हैं, दूर की नहीं)
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Hyperopia (दूर की चीज़ें तो ठीक दिखती हैं, पास की नहीं)
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Astigmatism (धुंधला या टेढ़ा-मेढ़ा दिखना)
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🩺 ऐसी स्थिति में क्या करें?
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आपको किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (Eye Doctor) से तुरंत परामर्श लेना चाहिए।
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डॉक्टर आपकी दृष्टि जांच कर जरूरत के अनुसार चश्मा या इलाज बताएंगे।
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क्या आँखों की जाँच कराना ज़रूरी है ? अगर आँखें ठीक लगती हों तब भी ?
बहुत से लोग सोचते हैं कि —
“मेरी आँख तो बिल्कुल ठीक है, मुझे चश्मा भी नहीं है, तो मुझे आँखों की जांच की कोई ज़रूरत नहीं।”
लेकिन असलियत यह है कि आँखों की जाँच सिर्फ समस्या होने पर नहीं, बल्कि समस्या से बचने के लिए पहले से करानी चाहिए।
आँखों की देखभाल के लिए जाँच कब से शुरू होनी चाहिए?
✅ जब बच्चा पैदा होता है, तभी उसकी आँखों की पहली जाँच होनी चाहिए।
✅ 2 किलो से कम वजन वाले बच्चों की आँखों की जाँच विशेष रूप से ज़रूरी है, क्योंकि इनमें पर्दे की बीमारी (Retinopathy of Prematurity) का खतरा होता है।
➡️ यह बीमारी समय पर पकड़ी न जाए, तो बच्चा बड़ा होते-होते अंधा भी हो सकता है।
आँखों की देखभाल का सही समय क्या है?
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👶 जन्म के समय (Newborn checkup)
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🍼 3 महीने की उम्र में
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🧸 6 महीने की उम्र में
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🎒 स्कूल शुरू होने से पहले (3-5 साल में एक बार)
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🧑🎓 हर 1-2 साल में स्कूल टाइम में (5-20 वर्ष तक)
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👓 अगर चश्मा लगा है तो हर 6 महीने में एक बार जरूर जाँच कराएं।
क्यों ज़रूरी है बचपन से जाँच?
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जैसे हमारे शरीर के बाकी अंग (जैसे कद-काठी) बढ़ते हैं, वैसे ही आँख भी बढ़ती और बदलती रहती है।
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बच्चों में Myopia (निकट दृष्टि दोष) या अन्य नंबर बदलने की समस्या बढ़ सकती है।
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अगर समय रहते जाँच न हो, तो बच्चे को:
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पढ़ने में परेशानी,
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सर दर्द,
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आँखों में तनाव,
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और जीवनभर के लिए कमजोर दृष्टि जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
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40 साल के बाद आँखों की जाँच कब और क्यों करानी चाहिए?
✅ पहली बार:
👉 40 की उम्र पूरी होते ही एक बार पूर्ण नेत्र परीक्षण (Comprehensive Eye Checkup) जरूर कराएं।
यह बेसलाइन जांच होती है जिससे यह पता चलता है कि आँखों में कोई धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी तो नहीं है।
📆 इसके बाद कितनी बार जांच करानी चाहिए?
उम्र | जांच की आवृत्ति (Frequency) |
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40-50 वर्ष | हर 2 साल में एक बार |
50-60 वर्ष | हर 1-2 साल में एक बार |
60+ वर्ष | हर साल नेत्र जांच कराएं |
🧠 40 की उम्र के बाद किन बीमारियों का खतरा बढ़ता है?
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👓 Presbyopia (उम्र से जुड़ी निकट दृष्टि दोष) — पढ़ने में धुंधलापन, पास की चीजें साफ नहीं दिखतीं
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🧿 ग्लूकोमा (Glaucoma) — आंखों की नसों पर दबाव बढ़ने से धीरे-धीरे अंधापन हो सकता है
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👁️ मोतियाबिंद (Cataract) — लेंस धुंधला हो जाता है, रोशनी में चमक, धुंधलापन आता है
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🧬 डायबिटिक रेटिनोपैथी — अगर आप मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित हैं तो यह बीमारी आँखों को नुकसान पहुंचा सकती है
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🩺 हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की वजह से भी आंखों की नसें प्रभावित होती हैं
⏱️ आँखों की जांच में कितना समय लगता है?
नेत्र परीक्षण केवल चश्मा लगाने या नंबर जानने तक सीमित नहीं होता। यह आपकी आंखों के पूरा स्वास्थ्य (Eye Health) जांचने की प्रक्रिया है, जिसमें समय लगता है।
🔍 नेत्र जांच की सामान्य प्रक्रिया:
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👨⚕️ सामान्य नेत्र परीक्षण (General Eye Exam)
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दृष्टि की जांच (Visual Acuity Test – पास और दूर की नजर)
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चश्मे का नंबर जांचना
🕒 लगभग 10-15 मिनट
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🧿 प्यूपिल डाइलेशन (Pupil Dilation)
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आँख की पुतलियों को विशेष दवा से बड़ा किया जाता है ताकि Retina (पर्दा) और Optic Nerve को अच्छी तरह देखा जा सके
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दवा डालने के बाद असर होने में 15-20 मिनट लगते हैं
🕒 डाइलेशन में कुल 20-30 मिनट
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👁️ Anterior Segment & Posterior Segment जांच
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Anterior Segment (आँख का अगला भाग): कॉर्निया, लेंस, आईरिस आदि की जांच
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Posterior Segment (आँख का पिछला भाग): रेटिना, ऑप्टिक नर्व, मैक्युला आदि की गहराई से जांच
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Fundoscopy या Slit Lamp से जांच की जाती है
🕒 10-15 मिनट
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कुल समय:
एक पूर्ण नेत्र परीक्षण में कम से कम 25-30 मिनट और अधिकतम 1 घंटा लग सकता है, विशेषकर अगर डाइलेशन किया गया हो।
लंबे स्क्रीन टाइम से आँखों को बचाने के आसान टिप्स:-
जैसे आजकल के समय में स्क्रीन वॉच टाइम बढ़ चुका है, तो कैसे आँखों की केयर करें?
देखो, आजकल के समय में टेक्नोलॉजी बढ़ चुकी है, तो आजकल मैन्युफैक्चरर भी सुधार कर रहे हैं जिससे ब्लू लाइट हमारी आँखों में न लगे।
क्योंकि आजकल बच्चे से लेकर बड़े भी लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल इतना करने लगे हैं कि क्या ही बताएं।
तो ऐसे में वैसे स्क्रीन में भी सुधार है और उनमें रीडिंग मोड दिया जाता है, जिससे स्क्रीन येलो हो जाती है, जिससे हमारी आँखों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
Computer Vision Syndrome (CVS) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट या किसी भी डिजिटल स्क्रीन को देखने के कारण आँखों में थकान, जलन, धुंधलापन, या सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।

मुख्य लक्षण (Symptoms):
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👀 आँखों में जलन या सूखापन
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🌫️ धुंधला दिखना
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🤕 सिरदर्द या माइग्रेन
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😵 चक्कर आना या ध्यान केंद्रित न कर पाना
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🧿 गर्दन, पीठ या कंधों में दर्द
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👓 चश्मे का नंबर तेजी से बदलना
आँखों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण टिप्स:
- रीडिंग मोड या नाइट मोड का इस्तेमाल करें
- स्क्रीन की ब्राइटनेस और कंट्रास्ट सही रखें
- एंटी-ग्लेयर स्क्रीन प्रोटेक्टर या चश्मा इस्तेमाल करें
- सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद करें
- आँखों को मॉइस्चराइज रखें
- UV किरणों से आँखों को बचाने के लिए धूप में सनग्लासेस पहनें।
आँखों की देखभाल के लिए सही खानपान क्यों ज़रूरी है?
जो हम खाते हैं, वही हमारे शरीर के साथ-साथ हमारी आँखों की सेहत पर भी असर डालता है।
सिर्फ दवा या चश्मा ही नहीं, संतुलित आहार (Balanced Diet) भी आँखों को स्वस्थ रखने के लिए उतना ही ज़रूरी है।
सिर्फ खाना खा लेने से नजर नहीं बढ़ती, लेकिन…
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ऐसा नहीं है कि अगर आप कोई चीज़ खा रहे हैं तो आपकी दृष्टि अचानक तेज़ हो जाएगी।
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और यह भी सच नहीं है कि कोई विटामिन (जैसे Vitamin A) बहुत ज़्यादा लेने से मोतियाबिंद (Cataract) ठीक हो जाएगा।
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लेकिन यह ज़रूर है कि कुछ पोषक तत्व आँखों की उम्र से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की गति को धीमा कर सकते हैं।
🧴🔬 किन पोषक तत्वों से आँखों को फायदा होता है?
पोषक तत्व (Nutrient) | लाभ (Benefit) | स्रोत (Source) |
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Vitamin A | रतौंधी से बचाव, रेटिना की सुरक्षा | गाजर, पपीता, आम, दूध, अंडा, हरी पत्तेदार सब्जियाँ |
Vitamin C | आँखों की कोशिकाओं की मरम्मत, एंटीऑक्सीडेंट | आँवला, संतरा, नींबू, अमरूद, टमाटर |
Vitamin E | सेल डैमेज से सुरक्षा, उम्र से जुड़ी बीमारियों में लाभ | बादाम, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज |
Lutein और Zeaxanthin | रेटिना की रक्षा, मोतियाबिंद और AMD से बचाव | पालक, सरसों का साग, मक्का, अंडा |
Zinc | Vitamin A को एक्टिव करता है, रेटिना में उपयोगी | कद्दू के बीज, चना, बीन्स, नट्स |
डाइट में क्या शामिल करें?
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🥕 गाजर, शकरकंद, आम, पपीता (Yellow-Orange Foods)
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🌿 पालक, मेथी, सरसों का साग (हरी पत्तेदार सब्जियाँ)
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🍊 आँवला, संतरा, नींबू (Vitamin C)
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🥚 अंडा, दूध, दही
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🥜 बादाम, अखरोट, बीज
कैसे आँखों के ज़रिए बीमारी शरीर में प्रवेश कर सकती है?
वायरल संक्रमण (जैसे – COVID-19, फ्लू आदि)
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जब कोई व्यक्ति छींकता या खाँसता है, तो उसके मुँह से निकले droplets (बूँदें) हवा में फैलते हैं।
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यदि ये droplets आपकी आँखों की नमी वाली सतह (Conjunctiva) पर गिरें, तो वायरस वहाँ से शरीर में प्रवेश कर सकता है।
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इसलिए COVID-19 के दौरान डॉक्टर Face Shield या Goggles भी पहनते थे।

गंदे हाथों से आँखें छूना
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यदि आपने गंदे हाथों से अपनी आँखें छू लीं, तो हाथ पर मौजूद बैक्टीरिया या वायरस आँख के रास्ते अंदर जा सकते हैं।
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इससे कंजंक्टिवाइटिस (आँख आना) या शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण हो सकता है।
आँखों के ज़रिए वायरस का शरीर में प्रवेश
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कुछ वायरस (जैसे – Adenovirus, Herpes, COVID-19) आँखों के संपर्क में आकर शरीर के अंदर जाकर श्वसन तंत्र या इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं।